पुनर्विवाह प्यार की एक शुरुआत
रविश ने मुस्कराते हुए स्वाति को अंगूठी पहनाई । फिर सब खाने की तैयारी करने चले गए , क्योंकि शादी के घर में मेहमान ज्यादा थे , तो रविश के बड़े पापा ने सबको घर के हाल में सबको पंगत में बैठकर खाना खाने के लिए कहा ।
एक तरफ घर के सब पुरुष और बच्चे बैठ गये । बाकि घर की महिलाएं मिलकर सबको खाना परोसने लगी । रविश के बड़े पापा खुश होते हुए बोले - आज कई सालों बाद ऐसे पंगत में बैठकर खाने का अपना ही मजा है । हां भैया , भैया आप को याद है जब गांव में ऐसे ही घर सब पुरुष बैठकर खाते थे और महिलाएं खाना परोसती थी । रविश के पापा ने कहा ।
उसके बाद जब महिलाएं खाने बैठती थी तो बाबूजी और बाकि सब पुरुष उन्हें खाना परोसते थे । कितने प्यार से बाबूजी जी मां को खाना परोसते थे और मां सर पर पल्लू लिए शरमाती रहती थी ।
चलो फिर तय रहा हम सब खाने के बाद सभी महिलाओं को खाना परोसेंगे । जी भैया .. रविश के पापा ने कहा ।
सरोज जी - क्या आप भी हम सब है ना , हम अपना खाना खुद ही परोस सकते हैं । क्यूं जीजी ! हां सरोज ठीक कह रही है ।
रानो - नहीं बड़ी मां , बड़े पापा और पापा ठीक कह रहे हैं । आज यें सब खाना परोसेंगे और हम मिस रानो कुमारी वीडीयो बनायेंगे ...। रानो की बात सुनकर सब हंसने लगते है ।
महिलाएं जब खाने बैठी , तो सब अपनी - अपनी पत्नियों को उनकी पसंद की चीजें परोसने लगे ।
रविश के बड़े पापा बड़े , प्यार से अपनी पत्नी को खीर परोस रहे हैं । वहीं रविश के पापा , सरोज जी को उनकी पसंद की सब्जी परोस रहे हैं । लेकिन रविश को समझ नहीं आ रहा है कि , स्वाति को खाने में क्या पसंद है । इसलिए वो सब खाने की चीजों को बारी - बारी से स्वाति के पास ले जाकर प्यार से परोस रहे हैं । तभी अचानक शिवांश रविश को इशारे से अपने पास बुलाता है ...
शिवांश - पापा , मम्मा को ये सब पसंद नहीं है , उन्हें तो करेले की सब्जी साथ में पतली दाल और मीठा अचार बहुत पसंद हैं ।
रविश - थैंक्यू हो मच..शिवू , मेरी हेल्प करने के लिए ... इतना कह कर रविश सीधे किचन में जाते हैं, और रखें एक बर्तन में करेले की सब्जी ( जो उनके बड़े पापा के लिए बनी थी ) वो ले आते हैं । साथ में मीठा अचार भी ...
इधर स्वाति को खाने की इच्छा ही नहीं हो रही थी क्योंकि इतने दिनों से वो शादी के शुरुआती दिनों से ही ज्यादा मसाले वाला खाना खाकर ऊब गई है ।अब उसे अपनी फेवरेट सब्जी दाल और मीठे आचार की याद आ रहीं हैं । तभी सामने से रविश ने आकर स्वाति को करेले की सब्जी और मीठा आचार परोसते है।
रविश - आपके लिए ये लेने गया था , आपको पसंद हैं ना !!! स्वाति रविश को आश्चर्य से देखने लगती है ।
स्वाति - आपको कैसे पता कि मुझे करेले की सब्जी और मीठा आचार पसंद है और आपको ये सब मिले कहां ? रविश मुस्कराते हुए - पता कर लिया .. और रही बात इनकी तो ये सब घर में बनी हुई हैं। ( रविश धीरे से ) हमारे घर में किसी को भी करेला पसंद नहीं हैं । वो तो बड़े पापा शुगर पेसेंट हैं इसलिए हफ्ते में दो , तीन बार ये सब्जी बनती हैं । स्वाति - और मीठे आचार ..
वो मुझे भी बहुत पसंद हैं ... रविश ने मुस्कराते हुए कहा !!
रानो रविश को खाना परोसते देखकर , उसे छेड़ती है...
रानो , रविश से - क्या बात है भईया , आज बड़ा आप खाना परोस रहे हो , आज से पहले तो हमें कभी नहीं परोसा ... देख लो मम्मी आपका बेटा बिगड़ गया ..😂😂 ये कह कर रानो वहां से भाग जाती है ।
रविश - रूक रानो की बच्ची अभी बताता हूं तुझे ... रविश रानो को पकड़ लेता है और उसके कान खिंचते हुए " रविश " बोल क्या बोल रही थी अभी ..
रानो झूठा गुस्सा दिखाते हुए - कुछ नहीं भाई , माफ कर दो प्लीज़ आगे से मजाक नहीं करूंगी ! प्लीज़ भाई मेरे कान दुःख रहे हैं .. रविश - ये हुई ना बात !
रविश , रानो को छोड़ देता है , रानो जल्दी से भाग कर अपने रूम की तरफ जाते हुए रूक जाती है और शोले फिल्म की गब्बर की नकल करते हुए रविश से कहती हैं ...
रानो - भईया... अपने किए की सजा आपको जरूर मिलेगी , बरोबर मिलेगी ... रविश के आंख दिखाते ही , रानो अपने रुम में तुरंत घुस जाती हैं ।
सभी घर वाले दोनों की नोंक झोंक देखकर हंसते हैं ...
सौरभ हंसते हुए रविश को देखकर कहता है , आज तो तुम गये काम से रविश , अब यें तुम्हें नहीं छोड़ेगी । रविश कुछ नहीं कहता बस मुस्कुरा के रह जाता है और स्वाति की तरफ देख रहा होता है। स्वाति अपने आपको रविश को देखता पाकर शर्मा जाती हैं । खाने - पीने का कार्यक्रम निबटने के बाद सब शाम की रिसेप्शन की तैयारी में लग जाते हैं । रविश का छोटा भाई और बाकी सब कैटरर्स को फोन करते हुए खाने की पूरी चीजें और स्टेज की सजावट वगेराह को तय कर लेते है । और वहां जाकर सब काम अपनी आंखों के सामने करवा रहे हैं।
महिलाएं और लड़कियां पार्टी में क्या पहनें क्या नहीं ये तय कर रही हैं । सरोज अपनी जेठानी से - दीदी , देखो ना तीन बज रहे हैं , कितना काम है करने को और ये लड़कियां भी ना बस हाथ धरे बैठी ही रहती है । रानो जा बेटा भाभी को अपने रूम में ले जा वहां वो थोड़ा आराम कर लेगी । और उसके बाद तुम और पीहू मेरे कमरे में आना मेहमानों को देने के लिए गिफ्ट पैकिंग करना है समझी !!! जी मां रानो ने कहा और चली गई । सरोज के कमरे में उसकी जेठानी और छोटी बहू बैठे हैं ...
सरोज - दीदी , आज रविश की जिंदगी में उसकी खुशियों ने कदम रखा है । मैं चाहती हूं कि उसे जिंदगी की वो हर खुशी मिले जिसके वो लायक हैं ।
पीहू - मां , आप फ़िक्र मत करिए भैया के साथ सब अच्छा ही होगा । पीहू प्रतीक को फोन करती , उधर प्रतीक रिसेप्शन में स्टेज पर सजावट के लिए आये लोगों को समझा रहा था कि स्टेज पूरी लाल गुलाब के फूलों से सजाना हैं और बीच - बीच में सफेद गुलाब भी होने चाहिए। तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगता है , प्रतीक ने देखा तो पीहू का फोन था ।
प्रतीक - हां पीहू बोलो ...
पीहू - घर से निकलते वक्त मैंने आपसे कुछ कहा था । वो काम हो गया क्या ?
प्रतीक - अरे यार ... मैं तो भूल ही गया , मैं अभी काॅल कर के उसे बोलता हूं , वो सामान दे जायेंगे । तुम उनसे सामान ले लेना ठीक है ।
पीहू - ठीक है , मैं उनसे सामान ले लूंगी । बोल कर फोन काट देती हैं ।
सरोज - पीहू , ये अभी तुम क्या कह रही थी प्रतीक से !
पीहू मुस्कराते हुए - मां , ये सरप्राईज है भैया और दीदी के लिए !
सरोज कुछ और पूछती उससे पहले पीहू ने बात बदल दी । हे भगवान , मां जी देखो ना कितना टाइम हो गया है ।
5 बज रहे हैं , मैं और रानो दी स्वाति दीदी को पार्लर ले जाने वाले थे । हम तीनों वहीं से तैयार होकर आ जायेंगी ।
सरोज - पीहू सुन , स्वाति को कहना की शिवांश को यहीं मेरे पास छोड़ दें , मैंने शिवांश के लिए रिसेप्शन में पहनने के लिए कपड़े लिए है । तो मैं शिवांश को सीधे रिसेप्शन की जगह ले आऊंगी ।
सरोज - बेटा , ज्यादा देर मत करना , पार्टी 8 बजे शुरू हो जायेगी । तो सब जल्दी आ जाना ...समझे !
पीहू - ठीक है मां ...
पीहू फूल लाये हुए लोगों से फूलों की टोकरी चुपचाप लेकर रविश के कमरे में छुपा देती है और पीहू , रानो स्वाति को पार्लर ले जाती हैं । तीनों तैयार होकर सीधे महाराजा पैलेस जायेंगी ।
रात 8 बजे जहां सब घर वाले आ गए हैं । और मेहमानों का आना अभी शुरू ही हुआ है । सरोज जी कहां है ये तीनों अभी तक नहीं आई , अब तो मेहमानों का आना भी शुरू हो गया है । प्रतीक जरा फोन करो तो पीहू को , कब से गई है लड़कियां ! सरोज जी परेशान होते हुए प्रतीक से कह रही थी । प्रतीक जी मां मैं अभी फोन कर के पूछता हूं ।
रविश - तुम रूको प्रतीक मैं रानो के पास फोन कर के पूछता हूं ।
रविश रानो को काॅल करते हैं । उधर रानो , पीहू और स्वाति सब तैयार हो गई है । रानो और पीहू स्वाति को देखती है , जो हल्के पिंक कलर के जोड़े में बहुत ही सुन्दर लग रही हैं । अपने लंबे बालों की चोटी बनवाई है और उसमें जूही के फूलों का गजरा लगा है जो स्वाती के दोनों की तरफ आये हुए हैं । साथ मांग टीका और मैचिंग के गहने पहने और भी सुंदर दिख रही हैं । और जब उसके सर पे पिंक कलर का कढ़ाईदार दुपट्टा ओढ़ाया जाता है । स्वाति को देखकर रानो सीटी बजाने लगती हैं ।
रानो - भाभी आज तो भैया की शक्ल देखनी पड़ेगी , अगर उनका मुंह खुला का खुला ना रह जाए तो मेरा नाम बदल देना आप ! तीनों तैयार होकर निकल ही रहे होते हैं कि रानो के फोन पर रविश का काल आता है । काॅल देखकर रानो काॅल पिक करती हैं ।
रानो - हां भैया हम लोग बस निकल ही रहे हैं कुछ देर में पहुंच जायेंगे ।
रविश - तुम लोग अभी तक नहीं निकले हो , मां कब से परेशान हो रही हैं । जल्दी आओ !!
रानो - जी भैया ..
Reyaan
10-Apr-2022 01:53 PM
Very nice
Reply